Late Dr. Gopaldas Narumal Purswani
Physician & Eye Specialist
Translated by : Gangaram Shamdas Purswani
Excerption from: Jog Maya
डा. गोपालदास नारायणदास पुरसवाणी बम्बराई जो जन्म 1 जनवरी 1889 हैदराबाद में थियो। नंदपण खां ई तेज फहम हो ऐ पढाई ते खास ध्यान हुयस। हैदराबाद में मैट्रिक पास करे वधिक पढाई लाए बम्बई आयो जिते बी.ए पास करे हैदराबाद में मास्टरी कारन लागो। गदोगदु पढाई चालू रखियाईं एं जल्दी बी.एस.सी जो इम्तीहान पास कयाईं जहिंमे सजी बम्बई यूनिवर्सिटी में पहिरियों नम्बी बिठो। हिन अन्या बी पढाई चालू रखी एं बी.टी. जी डिग्री हासिल कई।
मास्टरी कदे हुन जे मन में डॉक्टर बणजन जो विचार आयो एं 1922 खां डॉक्टरी पढ़ण शुरू कयांई एं एल.सी.पी.एस जो ईम्तीहान देई 1925 में डॉक्टरी प्रैक्टिस शुरू कई।
Dr. Gopaldas Narumal Purswani got the appointment as Medical Lecturer in Ahmedabad Medical College immediately after passing out medical degree before returning to Hyderabad, Sindh. संदसि खास अभियान अखियुन जा ऑपरेशन पिण कंदो हुओ। हुन 1946 में रिटायर कयो। के साल हैदराबाद मुनिसिपालटी जो एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर थी रहियो। He also became a family doctor of Governor of Hyderabad district.
विरहाडे. खो पोई अजमेर में पहिंजे परिवार समेत रहियो एं उते पहिंजी अस्पताल खोली। पहिंजनसद्गुणन सबब हू केतरा साल राजस्थान पूषार्थी पंचायत जो प्रधान थी रहियो। हू अजमेर मेडिकल ऐसोसिशन जो उपप्रधान पिण थी रहियो ( प्रधान हमेशा सिविल सर्जन ही रहंदो हुओ ) 1962 में अजमेर खे अलविदा करे बम्बई में पहिंजे वदे पुट डा. गंगाराम सांगद रहन लगो एं पहिंजे बिल्डिंग जी सोयाटी जो पछाड़िय तांई बिना मुखलाफत प्रधान थी रहियो आयो।
He established Puj Khudabadi Panchayat of Sonara in Mumbai in the year 1960 and increased the communication among the members of Khudabadi Sonara Community. As the community members increased the Panchayat bloomed from seeds sown in the minds of elders and Dr. Gopaldas Narumal Purswani was called Founder President of the Panchayat and meetings were held at the residence of Dr. Gopaldas Narrumal Purswani.
He was active and alert till 78 years of age. He used to accompany his son Dr. Gangaram to his Marine lines clinic every morning and patients still came to him for medical treatment. The clinic was a “must visit” for our community sindhwarkis coming from and going to abroad. With his sharp memory, he could recall their families and relatives. He was also an avid numismat (coin collector) and had a large collection of national and international coins.
संदस लाडो दुखी इंसानन जे दुख दूर करन दां हो एं उनहन खे मुफत डॉक्टरी मदद कंदो हुओ संदस देहांत 24 जून रात जो 1 बजे थियो। संदस अर्थी सा बम्बई जा वदा डॉक्टर, वकील, मुनिसिपल कॉर्पोरेटर, मुइजिज नागरिक, नियाती भाउर एं उन एराजी में रहंदडसबे भाउरन शरीक थी पहिंजे मेहबूब अगुवान खे श्रद्धांजलि अरपन कई।